शनिवार, 1 मार्च 2014

मम्मा आप चिंता मत करो...

   बच्चे  दो प्रकार के होते हैं। एक तो न पढ़ने वाले और दूसरे वाले ना पढ़ने वाले। यहाँ थोड़ा सा सुधार करते हैं कि कम पढ़ने वाले। पढ़ने वाले बच्चे तो समय पर होमवर्क और रिविज़न करते रहते हैं। और कम पढ़ने वाले बच्चे ! वे सिर्फ परीक्षाओं में ही पढ़ते हैं।
    कम पढ़ने वाले बच्चों में ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ने वाला मेरा छोटा बेटा प्रद्युम्न भी है। आज परीक्षा दे कर आया तो मेरे पूछने पर बताया कि उसके सौ में से 85 नम्बर आ जायेंगे।
 कमाल का आत्म विश्वास ! मुझे सुन कर हंसी आ गई।
   एक तरफ उसके चाचा का बेटा जो कि 8th में ही है। उसकी पहले परीक्षा की  चिंता से और अब रिज़ल्ट की  चिंता से नींद उड़ी  हुई है। यहाँ प्रद्युमन ने खुद ही रिजल्ट निकाल  दिया।
 मुझे याद आया जब वह सातवीं कक्षा में था। मैं बहुत चिंतित थी कि वह कैसे पास हो पायेगा।
  वह प्यार से गले में बाजू डाल कर बोला , " मम्मा आप चिंता मत करो। हमारी सिस्टर ने कहा है कि 33 नंबर वाला पास है। मैं 35 नंबर तो पक्का ले आऊंगा। "
   मुझे हंसी आ गई। सोचा अब सारे  बच्चे तो प्रथम नहीं आ सकते। पढाई के पीछे बच्चे का मासूम बचपन किसलिए खोना। लेकिन चार साल तक होस्टल में भेजना पड़ा इस पढाई के लिए ही !
  अब जब घर में है तो कोई फ़िक्र नहीं है उसे। मुझे तो फ़िक्र है !
   






लेकिन उसे फ़िक्र में नहीं डालना चाहती। कुछ बच्चे 12th के बाद सम्भल जाते हैं। इसी आस में उसके साथ हंस देती हूँ।

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